Tuesday, July 9, 2013

बारिश

बारिश के इस मौसम में किसानों का दूसरा घर होते हैं खेत

मन भीगे तन भीगे बरिश में चमन भीगे,
हम भीगें-तुम भीगे सजनी-सजन भीगे,
बागन-बगान में गुलाब औ कमल भीगे-
सुख भीगे-दुख भीगे और पल-पल भीगे।।

खेतहू किसान भीगे, आन भीगे-शान भीगे,
इक दूजे की जान भीगे, मान औ सम्मान भीगे,
चलो सखी भाग चलें, बवंडर औ तूफान तांई-
सब एक होई जाएँ, राम औ रहमान भीगे॥

गीता भीगे, बाइबिल भीगे, शबद-कुरान भीगे,
खेत-खलिहान औ घमंड का मकान भीगे,
चहुँ ओर फैल जाए प्यार का तुफान ऐसा-
हिमुसि* इसाई का सारा हिंदुस्तान भीगे॥



* हिंदू-मुस्लिम-सिक्ख-इसाई


प्रकृति के रोमांच को अपने परों पर धारण करने को उत्सुक मोर

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